
Navaratri 2025
नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें माता दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। यह पर्व वर्ष में चार बार आता है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। भक्तजन इस अवसर पर उपवास रखते हैं, दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और देवी माँ की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं।
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का अर्थ है “नौ रातें”। यह पर्व शक्ति, भक्ति और साधना का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
नवरात्रि के नौ दिन और देवी के स्वरूप
- माता शैलपुत्री – पर्वतराज हिमालय की पुत्री, जो शुद्धता और भक्ति का प्रतीक हैं।
- माता ब्रह्मचारिणी – कठोर तपस्या की देवी, जो संयम और ज्ञान प्रदान करती हैं।
- माता चंद्रघंटा – शौर्य और साहस का प्रतीक, जो भक्तों को निर्भीक बनाती हैं।
- माता कूष्मांडा – सृष्टि की रचयिता, जो जीवन में समृद्धि लाती हैं।
- माता स्कंदमाता – भगवान कार्तिकेय की माता, जो मातृत्व का प्रतीक हैं।
- माता कात्यायनी – शक्तिशाली रूप, जो असुरों का संहार करती हैं।
- माता कालरात्रि – अज्ञान और नकारात्मकता को दूर करने वाली देवी।
- माता महागौरी – शुद्धता और शांति की देवी।
- माता सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली माँ।
नवरात्रि व्रत और पूजन विधि
- प्रातः स्नान के बाद व्रत संकल्प लिया जाता है।
- घर में कलश स्थापना की जाती है।
- प्रतिदिन देवी दुर्गा की पूजा और आरती की जाती है।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।
- व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है।
- अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन किया जाता है।